The Secret of Life No. 05- Hard Work
सफलता एक ऐसी चीज़ है जो हर कोई चाहता है, कोई भी औसत जीवन जीना नहीं चाहता। हर आदमी कोशिश भी करता है, परिश्रम (Hard Work) करता है। दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन फिर भी ज़्यादातर लोग औसत जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
दरअसल हम सभी कुछ न कुछ काम करते हैं, हर रोज़। सुबह से शाम तक कई सारे काम करने होते हैं। कुछ अपने सपनों के लिए तो कुछ महज़ जीवनयापन (Survival) के लिए। कई बार दिन के अंत में हमें लगता है कि हमने आज बहुत परिश्रम (Hard Work) किया है, हम ख़ुद को थका हुआ महसूस करते हैं।
बचपन से ही हमने सुन रखा है कि
कड़ी मेहनत/परिश्रम (Hard Work) का कोई विकल्प नहीं होता।
There is no substitute of Hard Work.

इसी विश्वास से ज़्यादातर लोग कड़ी मेहनत (Hard Work) करते हैं, कोल्हू के बैल की तरह दिन-रात खटते रहते हैं। लेकिन अक़्सर नतीज़े नदारत होते हैं। यही वजह है कि लोग अपने काम से थक जाते हैं, हताश-निराश हो जाते हैं। व्यक्ति की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और वह अपनी क़िस्मत को कोसने और राम भरोसे जीने का आदी हो जाता है।
आइए आज हम परिश्रम (Hard Work) को एक नए नज़रिए से समझने की कोशिश करते हैं।
प्रगति का मतलब है, ख़ुशी! (Progress equals to Happiness.)
प्रगति निश्चित रूप से परिश्रम (Hard Work) से ही आती है। अब तक आपने जो भी हासिल किया है, यदि वह आपको ख़ुशी नहीं देता, इसका मतलब है कि सही मायने में वह आपकी प्रगति है ही नहीं।
एक टैक्सी ड्राइवर की कल्पना करें, वो दिन-रात मेहनत करता है। कई बार दिन में 15 से 20 घण्टे, लेकिन आप उसका जीवन देखें या उससे बात करें, तो वह आपको ख़ुश नहीं दिखाई देगा। वह कहेगा कि मैं तो इतना परिश्रम (Hard Work) करता हूँ, न सोने का ठिकाना न खाने का और न ही ज़िंदगी में सुक़ून है। तो आपको क्या लगता है कि, केवल परिश्रम (Hard Work) ही सफलता की ग्यारण्टी है?
दरअसल हमें यह तो बता दिया गया कि परिश्रम (Hard Work) करना है, लेकिन कैसे और कहाँ? यह तो कभी बताया ही नहीं गया। इसीलिए जो भी हमें सामने दिखा, हाँथ लगा हम उसी में खटने लगे। चाहे वह हमारे मन का हो या न हो। कई बार तो लोगों के पास चुनाव का कोई विकल्प भी नहीं होता। याद रखें जो काम हमें पसंद ही न हो, वह ना तो हमें ख़ुशी दे सकता है और न ही तरक़्क़ी।
मतलब सीधा सा है:- परिश्रम (Hard Work) का मतलब है- जीवन में हम जो भी चाहते हैं, उसे पाने की दिशा में, बिना थके किया गया काम।
जब आप अपने लक्ष्य से प्यार करते हैं, उसे पाने की दिशा में बिना थके काम करते हैं, तो वह आपको ख़ुशी देता है और आपकी तरक़्क़ी तय है। क्योंकि:- प्रगति का मतलब है, ख़ुशी! (Progress equals to Happiness.)

आजकल आपने लोगों को कहते सुना होगा कि Hard Work नहीं हमें Smart Work करना चाहिए। लेकिन यहाँ यह बात समझने की है कि हर हाल में हमें Work तो करना ही होगा। जब हम Hard Work सही तरीक़े और कुछ नियमों के तहत करते हैं तो वह अपने आप Smart Work हो जाता है।
Contents
परिश्रम के नियम (Rules of Hard Work)
एक दिशा (Single Direction)

समय की क़ीमत को पहचानें। समय कितना मूल्यवान है? यह समझ हम सब को होनी चाहिए। सबसे पहले इस बात को पक्का करें कि आप जीवन में क्या चाहते हैं? (Discover your Vision) आपके जीवन का लक्ष्य क्या है? जब एक बार यह तय हो जाय तो फिर एक ही दिशा में पूरी ऊर्जा और मनोयोग से प्रतिदिन 16-18 घण्टे मेहनत करें फिर चाहे कोई भी परिस्थिति हो। क्योंकि ब्रह्माण्ड को गति पसंद है। जो भी करें पूरी गति (Speed) से करें। यदि आप धीरे-धीरे कोई काम करते हैं तो, हो सकता है आप ऊब जाएँ और आपकी गति रुक जाए। गति रुकने का मतलब है प्रगति का रुक जाना।
अपनी गति को टूटने न दें (Never Break your Momentum)

जब एक बार आपने अपने लक्ष्य की दिशा में काम करना शुरू कर दिया तो फिर कोई भी चीज़ बाधा नहीं बननी चाहिए। गति यानि Momentum को बनाएँ और उसे बरक़रार रखें (Build the Momentum and Keep the Momentum)। क्योंकि यदि एक बार गति टूट जाती है तो फिर से उतनी ही या उससे कहीं ज़्यादा मेहनत उस गति को पाने में लगती हैं।
उदाहरण के लिए यदि एक बंद पड़ी कार को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना हो और आप उसे धक्का लगाना शुरू करते हैं, जैसे ही कार थोड़ी गति में आती है आप धक्का लगाना बंद कर देते हैं और कार रुक जाती है। अब जब दुबारा आप उसे धक्का लगायेंगे, आप को फिर से उतनी ही बल्कि उससे ज़्यादा ताक़त लगानी होगी क्योंकि आपने अपनी आधी ऊर्जा तो पहले ही लगा दी होती है।
इसलिए जब भी आप लक्ष्य तय करें तो कम से कम 25 सालों का धैर्य और उत्साह (Patience and Excitement) रखें। अपनी गति को बरक़रार रखें। हर बार जब भी कोई चीज़ आपको रोंके फिर से नई ऊर्जा और उत्साह से आगे बढ़ें।
ख़ुद को मुक्त करें (Get Unstuck)
जीवन में अक़्सर ऐसा होता है कि न चाहते हुए भी हमें कुछ ऐसे कामों को करना पड़ता है, जो न तो हमें ख़ुशी देते हैं और न ही वांछित तरक़्क़ी। ऐसे काम करना हमारी वर्तमान की मज़बूरी हो सकते हैं, लेकिन जितना ज़ल्दी हो सके हमें ऐसे कामों से ख़ुद को मुक़्त कर लेना चाहिए। यह इतना आसान नहीं होगा लेकिन एक चरणबद्ध योजना (Step by Step Plan) के तहत आप इससे निज़ात पा सकते हैं।
- सबसे पहले आप 6-12 महीने की एक तारीख़ तय करें, जब आप इस काम को छोड़ना चाहेंगे।
- कम से कम इतने फण्ड का इंतज़ाम करके रखें कि अगले एक साल तक आप अपना जीवन यापन (Survive) कर सकें।
- अब आपके पास 2 साल का वक़्त है अपने लिए नई योजना में काम करने के लिए।
- एक बात का ध्यान रखें कि जब भी आप अपने वर्तमान काम को छोड़ें उसके बाद आपका एक-एक सेकण्ड उपयोगी (Productive) होना चाहिए। आपको अपने नए और मनपसंद काम के लिए 16-18 घण्टे हर रोज़ पूरी ईमानदारी और परिश्रम (Hard work) से काम करना होगा।
- इस बीच आपको सबसे ज़्यादा सीखने पर ज़ोर देना चाहिए, अपने नए काम से सम्बंधित हर ज़रूरी कौशल (Skill) आपके पास होना चाहिए।
अपने लिए एक कोच रखें (Have a Coach)
जब भी आप किसी भी काम को पूरे परिश्रम(Hard work) के साथ करते हैं तब बहुत ज़रूरी है कि आपके पास एक कोच (Coach), एक मार्गदर्शक (Guide) हो, जो आपको बता सके कि अब अगला कदम क्या होना चाहिए। इसके लिए यदि आपको कुछ धन ख़र्च भी करना पड़े तो ज़रूर करें।
कोई समझौता नहीं (No Compromise)
एक बार आपने अपना मनपसंद का शुरू कर दिया तो अब आपको हर वो बात या कौशल सीखने के लिए तैयार रहना होगा जो कि ज़रूरी है। अब कोई भी परिस्थिति या बहाना बीच में नहीं आना चाहिए। क्योंकि इसके बिना आपका सारा परिश्रम (Hard work) व्यर्थ हो सकता है। ‘पीछे के सारे पुलों को जला दें (Burn your Bridges).’
ख़ुद को आराम दें (Have Rest)
परिश्रम (Hard work) के साथ आराम (Rest) भी बहुत ज़रूरी है। लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ते हुए कई बार आपको लगेगा कि बहुत मुश्किल है। कई बार लगेगा कि बेकार ही पंगा ले लिया, पहले ही हम ठीक थे। लेकिन ऐसा नहीं है जब आप ख़ूब काम (Hard work) करें तो बीच-बीच में ख़ुद को आराम भी दें। कहीं घूमने जाएँ, किसी मनपसंद शौक़ (Hobby) को पूरा करें, लेकिन ध्यान रखें कि आप अपने लक्ष्य से भटक न जाएं। हर 3 महीने में एक छोटी छुट्टी आपकी ऊर्जा को और बढ़ा देगी।
ख़ुद पर भरोसा न करें (Never trust yourself)

परिश्रम (Hard work) का सातवाँ और महत्वपूर्ण नियम है कि ख़ुद पर भरोसा करना छोड़ें। हममें से ज़्यादातर लोग लक्ष्य तो बनाते हैं, लेकिन कभी भी उन्हें हासिल नहीं कर पाते। इसकी एक बड़ी वजह यह होती है कि उनके सपने और लक्ष्य या तो उनकी डायरी में होते हैं या उनके दिमाग़ में। उन्हें ख़ुद पर इतना भरोसा(Over Confidence) होता है कि वे इसे पूरा कर लेंगे, वे किसी और को अपने लक्ष्यों के बारे में बताना नहीं चाहते। उन्हें डर लगता है कि लोग उनका मज़ाक न बना लें।
दरअसल उन्हें ख़ुद पर सच में भरोसा होता ही नहीं। इसीलिए समय के साथ उनका उत्साह और प्रेरणा कम होने लगती है और वे भूल जाते हैं कि उनका कोई लक्ष्य भी था। किसी भी काम को अंज़ाम तक ले जाने के लिए हमेशा एक उत्प्रेरक या प्रेरणा की ज़रूरत होती है।
इसीलिए हमने पहले ही कहा कि आपके पास एक कोच या मार्गदरशक का होना बहुत ज़रूरी होता है। आप अपने लिए एक ऐसे व्यक्ति (Accountability Partner) को चुनें जिसके प्रति आप जवाबदेह हों। उसे अपने लक्ष्यों के बारे में बताएँ और उन्हें पूरा करने का वादा (Commitment) करें। यदि आप आप अपने वादे पर काम करने से चूकते हैं, तो वो आपको याद दिलाते रहेंगे और सम्भव है कि आप अपने लक्ष्यों को हासिल कर लें।
आपके लक्ष्यों को जबतक दूसरे नहीं जानते तब तक उनके पूरा होने की सम्भावना न के बराबर होती है। अपने बड़े लक्ष्यों की बार-बार चर्चा करें, दुनिया को इसके बारे में जानने दें। ब्रह्माण्ड (Universe) के प्रति ही ख़ुद को जवाबदेह (Accountability Partner) बनाएं।
परिश्रम को आदत बनाया जा सकता है (It’s Possible to Develop the Habit of Hard work)

सफलता के लिए तीन चीज़ें अपरिहार्य (Indispensable) होती हैं- संगत (Association), आदत (Habit) और गुरू (Mentor)। अच्छे लोगों का साथ, अच्छी आदतें और एक अच्छा मार्गदर्शक हमारी सफलता की ग्यारण्टी हैं।
हम बहुत सारी आदतें बनाते हैं और यही आदतें हमारे जीवन की दिशा और दशा तय करती हैं। आज हम जहाँ भी हैं उसमें हमारी आदतों की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिस तरह से हम दूसरी आदतें बनाते हैं, उसी तरह यदि हम परिश्रम (Hard work) को आदत बना लें तो सफलता निश्चित है। और यह सम्भव है।
मेहनत हमेशा प्रतिभा को मात देती है (Hard Work always beats the Talent)

हमारे आस-पास हज़ारों ऐसे उदाहरण हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि ये इतने तो प्रतिभाशाली नहीं हैं जितने सफल हैं। लाखों लोग ऐसे हैं, जिनकी प्रतिभा देखकर लगता है कि इन्हें तो कामयाब होना ही चाहिए। लेकिन ऐसा है नहीं, वे किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे हैं या औसत जीवन जी रहे हैं। यदि दोनों ही तरह के लोगों का बारीक़ी से अध्ययन करें तो जो सबसे बड़ा फ़र्क़ दिखता है वह है उनके काम करने की आदत का।
पहले तरह के लोग एक काम को पकड़ते हैं फिर पूरी शिद्दत अपने काम में लगा देते हैं। वे परिश्रम (Hard work) को अपना हथियार बनाते हैं, वे ज़्यादा वक़्त सोचने में नहीं लगाते। जबकि दूसरे पूरी योजना बनाते हैं, नफ़ा-नुक़सान का विश्लेषण करते हैं और पूरी प्रक्रिया में लगने वाली मेहनत से डरकर बैठ जाते हैं।
इसीलिए कहते हैं कि परिश्रम (Hard work) हमेशा प्रतिभा को हरा देता है।
The Secret of Life इस श्रृन्खला का यह आख़िरी लेख आप को निश्चित ही पसंद आया होगा। यदि यह आपको उपयोगी लगा हो तो अपने जानने वालों के साथ साझा ज़रूर करें। ज़ल्दी ही हम एक नई और उपयोगी श्रृन्खला शुरू करेंगे, आप अपना सहयोग ऐसे ही बनाएं रखें। धन्यवाद।
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