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The Secret of Life(In Hindi) No.03-Take Accountability Of Your Actions And Words
ज़िम्मेदारी(Responsibility) और जवाबदेही(Accountability) शब्द अक्सर एक दूसरे के पर्याय के रूप में उपयोग किये जाते हैं, क्योंकि प्रथमदृष्ट्या दोनों एक जैसे ही प्रतीत होते हैं। हालांकि यदि बारीक़ी से देखें तो दोनों शब्द व्यापक रूप से भिन्न हैं।
ज़िम्मेदारी और जवाबदेही में अंतर (difference between responsibility and accountability)
ज़िम्मेदारी(Responsibility) का मतलब है कि आप वह काम करते हैं जो करने के लिए आपको कहा जाता है, जबकि जवाबदेही(Accountability) का मतलब है आप वह करते हैं जो आपको करना चाहिए।
ज़िम्मेदारी(Responsibility) आपको दी जाती है जबकि जवाबदेही(Accountability) आप स्वयं लेते हैं। जवाबदेही (Accountability), ज़िम्मेदारी से पैदा होती है।
ज़िम्मेदारी(Responsibility) में आप उन नियमों का पालन करते हैं जो आपको दिए गए काम को करने के लिए ज़रूरी होते हैं। जबकि जवाबदेही(Accountability) का मतलब है काम को पूरा करने की प्रक्रिया में जो भी परिणाम आते हैं उसकी जवाबदारी(Responsibility) ख़ुद लेना।
ज़िम्मेदारी(Responsibility) को आप दूसरों को सौंप सकते हैं, जबकि जवाबदेही(Accountability) आपको स्वयं ही लेनी होती है, आप इसे दूसरों पर या परिस्थितियों पर नहीं टाल सकते।
जवाबदेही एक आवश्यक गुण है (Accountability is an essential quality)
यदि हम अपने आस-पास विभिन्न पेशेवर और नौकरीपेशा लोगों को ध्यान से अवलोकन करें तो देखते हैं कि, कुछ लोग अपने काम में इतने अच्छे होते हैं कि दूसरों के लिए प्रेरणा होते हैं और कम उम्र में ही ग़ज़ब की नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण होते हैं। जबकि कुछ लोग इतने आत्ममुग्ध और घमण्डी होते हैं कि, दूसरों के साथ काम करने या अच्छी प्रबंधन कला कभी सीखते ही नहीं। उनमें नेतृत्व क्षमता या तो होती ही नहीं या बहुत ही विनाशकारी होती है। कोई भी उनके साथ काम करते हुए सहज महसूस नहीं करता।
लेकिन एक चीज़ बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है, चाहे पेशेवर हों या सामान्य, वह है अपने कार्यों और शब्दों के लिए जवाबदेही (Accountability) स्वीकार करना। यह कुछ ऐसा है जो हमें अपने बचपन, परिवार, स्कूल या काम करने के स्थानों पर नहीं सिखाया जाता। जबकि यह हमारी सफलता और ख़ुशी के लिए एक अतिआवश्यक गुण या कौशल है।
जीवन में व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार/जवाबदेह महसूस करना बहुत महत्वपूर्ण है। अपने जीवन पर नियंत्रण रखना और कुछ ग़लत होने पर उसकी ज़िम्मेदारी(Responsibility) और दोष स्वयं लेना भी आवश्यक है। हमें वह काम करना चाहिए जो हमें सौंपा गया है, चाहे वह स्वयं के लिए हो या दूसरों के लिए। हमें सौंपी गई ज़िम्मेदारियों से अवगत होने के लिए हमें अपने भीतर की सामान्य चेतना को जगाने की ज़रूरत है।
हम जीवन में अपनी ज़िम्मेदारियों के बारे में कैसे जानते हैं?(How do we become aware of our responsibilities in life?)
जैसे-जैसे हम जीवन की यात्रा में आगे बढ़ते हैं, हम बहुत सी चीज़ों का सामना करते हैं और सीखते हैं जिनमें हमारी ज़िम्मेदारियां भी शामिल हैं। आत्म-सुख, आत्म-सुरक्षा और आत्म-ख़तरे की भावना हमारी समग्रता का हिस्सा हैं।
जवाबदेही(Accountability) की मज़बूत भावना इस बात को प्रभावित करती है कि एक व्यक्ति कैसे जीवन को आगे बढ़ाता है और कैसे जीवन में सभी इच्छाओं को प्राप्त करने के लिए प्रयास और उपक्रम करता है। जैसे-जैसे हम परिपक्व होते हैं, हमारी ज़िम्मेदारियां अधिक स्पष्ट होती जाती हैं- स्वयं के प्रति, अपने परिवार के प्रति, अपने मित्रों के प्रति, समुदाय के प्रति और पूरे समाज के प्रति।
जवाबदेह कौन है? (Who is accountable?)
अब तक हमने देखा कि ज़िम्मेदारी(Responsibility) और जवाबदेही(Accountability) क्या है? ये एक दूसरे से अलग कैसे हैं? ज़िम्मेदारी हमें कैसे मिलती है? ज़िम्मेदारी(Responsibility) के प्रति जवाबदेही(Accountability) लेने की भावना जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है। आइए अब जानते हैं कि आप कैसे जानेंगे कि कोई ज़वाबदेह है। जवाबदेही(Accountability) के कुछ लक्षण:-
- जवाबदेह व्यक्ति जीवन में होने वाली घटनाओं के लिए अपने हिस्से की जवाबदारी ख़ुद लेते हैं।
- वे अपने शब्दों के प्रति सजग रहते हैं और इस बात की जाँच करते हैं कि उनके संवाद से किसी को कष्ट या नुक़सान न हो।
- वे अपनी ग़लती के लिए दूसरों को दोष नहीं देते।
- वे इस बात का बहाना नहीं बनाते कि चीज़ें ग़लत क्यों हो रही हैं।
- वे कभी भी ज़िम्मेदारियों और विफलताओं के लिए अपनी टीम या अधीनस्थों को मोहरा नहीं बनाते।
- यदि वे अपने काम को तय समय-सीमा में या वांछित मापदण्डों के साथ पूरा नहीं कर पाते तो वो ऐसा नहीं दिखाते कि जो हुआ वह उनके नियंत्रण में नहीं था।
- विफलताओं के समय रेत में सिर छुपाने या नकारने की बजाय वे और अधिक रूप से सक्रिय होते हैं।
- रिश्तों के प्रति हमेशा खुले विचार रखते हैं, वे यह देखते हैं कि उनकी चुनौतियाँ और संघर्ष कहीं उनके रिश्तों को तो ख़राब नहीं कर रहे। वार्तालाप में हमेशा दूसरों के दृष्टिकोण को समझते हैं, भले ही उनसे सहमत न हों।
- और अंत में उनका विश्वास होता है कि उनकी दुनिया, कैरियर या उनके जीवन में जो भी हो रहा है वह सब उनकी सोच और कार्यों का परिणाम है और उसे कभी भी बदला जा सकता है।
जवाबदेही की कमी का समाज पर प्रभाव (Impact of lack of accountability on society)
वर्तमान समय में यदि देखा जाय तो स्पष्ट नज़र आता है कि कॉरपोरेट जगत में उलझ चुकी ज़्यादातर नई पीढ़ी अपने कार्य और व्यवहार के प्रति ज़रा भी सजग और जवाबदेह (Accountable) नहीं है। कॉरपोरेट जगत की चकाचौंध में युवा पूरी तरह से अंधा हो चुका है। रिश्ते, समाज, राष्ट्र के प्रति वे पूर्णतः उदासीन होते जा रहे हैं, स्वार्थी होते जा रहे हैं।
दूसरों की भावनाएँ, सम्मान और ज़रूरतें उनके लिए कोई मायने नहीं रखते। वह इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं करते कि उनके शब्द और व्यवहार दूसरों के लिए कितने असुविधाजनक और आहत करने वाले होते हैं। वे इस बात को महसूस ही नहीं कर पाते तो फिर जवाबदेही(Accountability) लेने का तो सवाल ही नहीं उठता।
रिश्तों में बढ़ती दूरियाँ, समाज में बढ़ती अराजकता, युवाओं में बढ़ती नशे की लत, आत्महत्या, बलात्कार, घरेलू हिंसा जैसी घटनाओं की एक बड़ी वजह जवाबदेही(Accountability) का न होना भी है।
आज हमें कौन सी मुख्य बातें जानने की ज़रूरत है जो हमें अधिक जवाबदेह बनने में मदद करेगी और यह हमारे जीवन और समाज को कैसे बेहतर बनाएँगी?

अपने कार्यों और अपने शब्दों के प्रति अधिक जवाबदेह बनने के चार तरीक़े (Four Ways to Be More Accountable to Your Actions and Your Words)
1. अपने आप से पूछें, “मैं इस समस्या में कैसे योगदान कर रहा हूँ?”
यह सोचने की बजाय कि आपकी वर्तमान चुनौतियाँ दूसरों की वजह से या परिस्थितियों की वजह से हैं या आपके नियंत्रण से बाहर हैं, स्वीकार करें कि आप इस स्थिति में बराबर हिस्सेदार हैं। देखें कि आप क्या कर रहे हैं, सोच रहे हैं और कह रहे हैं जो इस समस्या को निरंतर बनाए रख रहा है? इस समस्या से निकलने के लिए आप अपने व्यवहार को कैसे बदल सकते हैं, सामान्यतया आप जो सोचते, कहते और करते हैं उसे कैसे बदल सकते हैं?
ऐसा कहा जाता है कि यदि आप किसी स्थिति से नाख़ुश हैं, तो आपके पास केवल दो विकल्प हैं: स्थिति को बदलें, या स्थिति के बारे में अपनी भावनाओं और विचारों को बदलें। इसमें आपकी भूमिका को पहचान कर जो हो रहा है उसे बदलने का समय आ गया है। ऐसा करके आप ख़ुद की जवाबदेही(Accountability) लेते हैं।
2. देखें कि आपको जीवन में कौन सी चीज़ सबसे अधिक आहत करती है और उसे ठीक करने के उपाय करें
इस सप्ताह अपने भीतर की यात्रा करें और देखें कि वह कौन सी चीज़ या बात है जो आपको सबसे ज़्यादा आहत करती है। यह आपके बचपन से हो सकती है या आपके जीवन में हुई किसी दर्दनाक़ घटना से हो सकती है जिसने आपको इतना आघात दिया है कि अब तक आप उससे उबर नहीं पाये हैं। देखें कि यह बात किस तरह से आपके जीवन के साथ खेल रही है और आपको नुक़सान पहुँचा रही है? समझने की कोशिश करें कि आप इस घटना को वैसे ही देख रहे हैं जैसा कि बचपन में आपने महसूस किया था। इसे पहचान कर इस बात की जवाबदेही(Accountability) लें कि अब तक जो हुआ सो हुआ अब मैं इसे ठीक करूँगा।
और याद रखें, “घायल और आहत व्यक्ति औरों को भी घायल और आहत करते हैं”। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप मानसिक रूप से उतने ही ठीक और स्वस्थ हैं जितना आप हो सकते हैं और आपको होना चाहिए।
3. यदि आप कोई ग़लती करते हैं और माफ़ी माँगते हैं, तो यह मात्र औपचारिकता नहीं होनी चाहिए
अक्सर हम जब भी कोई ग़लती करते हैं तो सहज रूप से माफ़ी माँग कर अपनी औपचारिता पूरी कर लेते हैं। लेकिन हमें इस बात का ज़रा भी अहसास नहीं होता कि इससे सामने वाले को कितना नुक़सान हुआ होगा, मानसिक आघात लगा होगा।
एक बात और ध्यान रखें कि जब भी आप अपनी क्षमायाचना के साथ “लेकिन” और “यदि” जैसे शब्दों को जोड़ देते हैं, तो आप एक तरह से अपनी ग़लती की जवाबदेही(Accountability) लेने से ख़ुद को बचा लेते हैं। इससे सामने वाले व्यक्ति को मानसिक आघात पहुँचता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप कहते हैं “मुझे ख़ेद है कि मैं आपके कार्यक्रम में नहीं आ सका, लेकिन क्या करता? मैं बहुत व्यस्त था” या आप कहते हैं “माफ़ कीजिएगा, मैं आपसे लड़ना नहीं चाहता था, लेकिन आपने ही मुझे उकसाया”। इन दोनों संवादों से स्पष्ट हो रहा है कि आप माफ़ी तो मांग रहे हैं, लेकिन आपको कोई ख़ेद नहीं है।
‘मुझे ख़ेद है’ या ‘माफ़ कीजिएगा’ ये केवल शब्द या वाक्यांश नहीं हैं जो दूसरों को केवल शांत करने या समझाने कि लिए होते हैं, बल्कि ये शब्द रिश्तों को पुनुरुज्जीवित करने और सामने वाले को सुरक्षित महसूस करने का मौक़ा देते हैं।
कोई भी व्यक्ति जो आपकी वजह से आहत हुआ है, वह चाहता है कि आप अपनी ग़लती की जवाबदेही(Accountability) लें, उसकी बात को सुनें, उसे महत्व दें और पछतावा और अफ़सोस महसूस करें। वे चाहते हैं कि आप उस दर्द को महसूस करें जो सामने वाले को आपकी वजह से हुआ है, साथ ही उसे ठीक करने के उपाय करें और यह सुनिश्चित करें की इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी।
4. पहचानें कि आपका व्यवहार कहीं आपको दूसरों से दूर तो नहीं कर रहा है
कई बार लोगों को लगता है कि उनके आस-पास जो कुछ भी हो रहा है वह उनपर सीधा हमला है। लोग जो भी बाते करते हैं, उन्हीं के बारे में होती हैं। जबकि लोग जो भी बातें, आपसे करते हैं, वो आपसे ज़्यादा, ख़ुद उनके बारे में होती हैं।
कई बार जाने-अनजाने हम उन लोगों की तरह व्यवहार करने लगते हैं, जिन्हें हम ख़ुद पसंद नहीं करते। कई बार हम छ्द्म व्यवहार करते हैं, लोगों को दिखाने के लिए। अपने आस-पास एक नक़ली आवरण बना लेते हैं, फलस्वरूप लोग हमसे बचने लगते हैं।
अक्सर इस आभासी और नक़ली पहचान से (जो हम दूसरों को दिखाने के लिए बनाते हैं) बाहर अपनी वास्तविकता को देखना कष्टप्रद लगता है, लेकिन यह बहुत ही संतोषजनक और सरल होता है जीवन जीने के लिए। आपके वास्तविक रूप को लोग दिल से पसंद करते और अपनाते हैं। जब हम ख़ुद की जवाबदेही(Accountability) लेते हैं, तो समझ पाते हैं, कि अपने वास्तविक स्वरूप में जीवन जीना कितना सरल और आनंददायक होता है।
जिसदिन हम अपने जीवन में जो भी घट रहा है, उसकी जवाबदेही (Accountability) ख़ुद ले लेते हैं, उस दिन से हम ख़ुद को बेचारा सिद्ध करने के मोह से मुक्त हो जाते हैं और सफलता के लिए आवश्यक कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। जवाबदेही (Accountability) लेना तरक़्क़ी की पहली और सबसे मज़बूत सीढ़ी है।
उम्मीद है यह आलेख आपको रोचक और उपयोगी लगा होगा। यदि आप अपनी राय लिखने का समय निकालते हैं, तो हमें ख़ुशी होगी।
THE SECRET OF LIFE(IN HINDI) NO.02-FIND THE PURPOSE OF LIFE
THE SECRET OF LIFE(IN HINDI) NO.01– NEVER STOP LEARNING, BECAUSE LIFE NEVER STOPS TEACHING.
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