जीवन को दुर्घटना की तरह नहीं वरन एक सुनियोजित अभियान की तरह जिएँ। प्रकृति में कुछ भी संयोग से या दुर्घटनावश नहीं है। प्रकृति की हर वस्तु, हर घटना किसी न किसी उद्देश्य (Purpose) से है।
जिस तरह प्रकृति में हर चीज़ किसी न किसी मक़सद से है, कोई भी चीज़ अकारण नहीं है। पेड़-पौधे, नदी-नाले, पर्वत-पहाड़, समुद्र, हवा-पानी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, प्रकृति की एक-एक चीज़ के होने का कोई न कोई प्रयोजन (Purpose) है। इसी तरह हमारे जीवन का भी कोई न कोई प्रयोजन(Purpose of Life)है। ईश्वर ने हमें इंसान बनाया है, इस ख़ूबसूरत संसार में भेजा है तो निश्चित ही किसी ख़ास मक़सद से। हमें भी तो कुछ और बना सकता था, इंसान ही क्यों बनाया? प्रकृति का कोई भी सृजन दुर्घटनावश नहीं होता।
ध्यान से देखें तो आज दुनिया में ज़्यादातर लोग भ्रम में जी रहे है। ऐसा लगता है कि लोग अलग-अलग दिशाओं में भागे जा रहे हैं। लोगों के पास आगे बढ़ने की कोई आकांक्षा (Aspirations) नहीं है। उनके जीवन की कोई दिशा (Purpose of Life) नहीं है। हर कोई ज़ल्दी में है, लेकिन क्यों? पता नहीं है। बिना किसी तर्क या कारण के बस काम किए जा रहे हैं क्योंकि बाक़ी लोग भी ऐसा ही कर रहे हैं।
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The Secret of Life In Hindi No.02-Find the Purpose of Life
यदि आप जीवन को एक उद्देश्य (Purpose of Life) के साथ नहीं जीते हैं, तो इसका मतलब है कि आप दुर्घटना से जीवन जीते हैं। आप जीवन के पथ में इधर से उधर भटकते रहेंगे। कभी नहीं जान पायेंगे कि जीवन में कितना कुछ आप पा सकते थे, आप कितने सौभाग्यशाली हो सकते थे?
अब ज़रा गहराई से सोचने के लिए समय निकालें। ईश्वर के संकेतो को समझें और अपने भीतर की आवाज़ को सुनें। धैर्य रखें और देखें कि कितना कुछ आपको मिला है। जो कुछ भी आपको मिला है उसके लिए अहोभाव का भाव (Attitude of Gratitude)रखें। आप दुनिया में अनूठे (Unique)हैं, कोई दूसरा आपके जैसा नहीं है। इस बात को जानें कि आप यहां क्यों हैं? आपके जीवन के उद्देश्यों(Purpose of Life) की पूर्ति के रास्ते में अपार सम्भावनाएँ और अवसर हैं।
आपके जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य (Ultimate Purpose of Life) दूसरों को देना और उनकी सेवा करना होना चाहिए। आपको बदले में कुछ भी उम्मीद करने की आवश्यकता नहीं है। आप वास्तव में जीवन के आशीर्वादों को तब जान पाएंगे जब आप दूसरों को देंगे, उनकी मदद करेंगे, बदले में बिना किसी कामना के, बस इस उद्देश्य से कि जो आपने किया वह आपको एक आत्मसंतुष्टि(Self Satisfaction) दे।
ख़ुद के प्रति ईमानदार रहें। इस भ्रम में न रहें कि आप पूजा-अनुष्ठान करके ईश्वर को प्रसन्न कर लेंगे और बाक़ी दिनों में अपनी मर्ज़ी से जीवन को जिएंगे। आप जो नहीं हैं वह बनने की कोशिश करके खुद को भ्रमित न करें। ग़लत लोगों का अनुसरण करके ख़ुद को भ्रमित न करें। अपने जीवन से समझौता नहीं करना है। भगवान ने आपको एक उद्देश्य(Purpose) के लिए बनाया है। यदि आप उस उद्देश्य(Purpose of Life) से जीवन जीते हैं तो आपका काम ही आपकी पूजा बन जाएगा। आपको अलग से ईश्वर को प्रसन्न करने की ज़रूरत नहीं होगी।
उस कारण, उस उद्देश्य (Your Purpose of Life) का पता लगाएं; इसे दृढ़ता से अपनाएं, और अपने जीवन को उद्देश्य (Purpose of Life) के साथ जिएं।
उद्देश्य विहीन जीवन उस जहाज़ की तरह होता है जिसे इंज़न चालू करके बिना किसी लक्ष्य(Destination), बिना कैप्टन और दिशासूचक(Compass) के समुद्र की लहरों के बीच छोड़ दिया गया हो। उसे नहीं पता कि जाना कहाँ है? और इसमें कितना समय लगेगा? आपको क्या लगता है, वह कहाँ पहुँचेगा? …….वह कहीं नहीं पहुँच सकेगा, बल्कि लहरों के साथ भटकते हुए किसी चट्टान से टकरा कर नष्ट हो जायेगा।
इसी तरह यदि इंसान के जीवन में कोई लक्ष्य, कोई उद्देश्य (Purpose of Life) ही न हो तो वह किसी एक दिशा में चलने की बजाय कभी इधर, कभी उधर भटकता रहता है। एक काम शुरू करता है और यदि उसमें वांछित परिणाम नहीं मिला तो उसे छोड़कर किसी और काम की तलाश में लग जाता है। पूरा जीवन संघर्षों का महासागर बन जाता है। अवसाद, निराशा, हताशा, भय, क्रोध, चिंता, और अभावरूपी लहरों के थपेड़े इंसान के जीवन को नष्ट कर देते हैं। जीवन एक दुःस्वप्न बन जाता है।
अक़्सर हम अपनी सहूलियत(Convenience) और ज़रूरत(Requirement) के हिसाब से काम करते हैं, इसलिए जीवन भर केवल ज़रूरतें (Requirements) ही पूरी कर पाते हैं। जिस दिन हमारा कार्य एक उद्देश्य (Purpose) के लिए होता है, एक मिशन बन जाता है, उसदिन हम अपनी ज़रूरतें तो पूरी करते ही हैं साथ ही हज़ारों/लाखों, और लोगों के सपनों और ज़रूरतों को पूरा करने का माध्यम बन जाते हैं।
अपने आप से कुछ सवाल पूछें
- मैं कौन हूँ?(Who am I?)
- मैं यहाँ क्यूँ हूँ?(Why I am here?)
- मेरे जीवन का अंतिम उद्देश्य क्या है?(What is the Ultimate Purpose of Life?)
हो सकता है कि इन सवालों के ज़वाब आसानी से न मिलें, लेकिन बार-बार चिंतन-मनन करने से ज़रूर मिल जाएँगे। यदि हम अपने प्रति गम्भीर और ईमानदार हों तो यह ब्रह्माण्ड(Universe) हमें संकेत (Signals)देता है कि हमारा जन्म किस ख़ास मक़सद से हुआ है? ब्रह्माण्ड वो सारी घटनाएँ, सारे संकेत बार-बार हमारे सामने प्रस्तुत करता है, बस ज़रूरत हमारे पहचानने की है।
ब्रह्माण्ड के संकेतों (Signals of Universe)को समझें और अपनी क्षमताओं के साथ उनका मिलान करें आपको आपका लक्ष्य (Purpose of Life)अवश्य मिल जायेगा। जिस दिन आपको आपका मक़सद (Purpose of Life) मिल जाए, बस फिर पूरी शिद्दत से उस एक दिशा में अपनी पूरी ऊर्जा के साथ लग जाएँ। काम को अपना जुनून बना लें और वो सब कुछ करें जो ज़रूरी हो।
अक़्सर हम अपने लिए सीमाएँ बना लेते हैं कि मैं यह नहीं कर सकता। यह तो बहुत मुश्किल है। यह मेरे वश का नहीं। मेरे ख़ानदान में किसी ने नहीं किया तो मैं कैसे कर सकता हूँ? आदि-आदि। ये सब हमारे मन के बहाने हैं, ख़ुद को समझाने के लिए। जिस दिन हम इस तरह के बहानों के दायरे में ख़ुद को समेट लेते हैं हमारी प्रगति अपने-आप रुक जाती है।
हमेशा अपनी सीमाओं से ऊपर का लक्ष्य बनाएँ। अपनी सुविधा से काम करने की बज़ाय जो ज़रूरी हो वो काम करने की आदत डालें। शुरुआत में यह थोड़ा मुश्किल लगेगा लेकिन धीरे-धीरे यह आदत बन जाएगा, आसान लगने लगेगा और आपको मज़ा आने लगेगा।
हर रोज़ ख़ुद को एक नई चुनौती (Challenge)दें। उसे पूरा करें फिर एक नई चुनौती। जैसे-जैसे छोटी-छोटी सफलताएँ(Success) मिलने लगती हैं तो हमें चुनौतियों (Challenges)का सामना करने की आदत पड़ जाती है। जीवन एक रोमांचक खेल(Exciting Game) लगने लगता है।
जिस दिन आपको आपका उद्देश्य (Purpose of Life) मिल जाए फिर पूरे मनोयोग से उसमें लग जाएँ। चाहे वह कोई भी काम हो।
आपका काम क्या है? इस बात से कोई भी फ़र्क़ नहीं पड़ता। फ़र्क़ केवल परिणामों के आधार पर पड़ता है। ध्यान रखें दुनिया में इंसान की क़द्र उसके काम के परिणाम के आधार पर होती है। हज़ारों लोग एक ही कार्यअथवा व्यवसाय को करते हैं लेकिन हम उन्हीं लोगों को जानते हैं और मानते हैं जो सर्वोत्तम प्रदर्शन करते हैं।
ताज़ा उदाहरण में देखें ओलंपिक 2020 में स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा को पहले कितने लोग जानते थे ? वे कोई कल से तो भाला फेंकना शुरू नहीं किए थे। लेकिन जैसे ही 7 अगस्त 2021 को उन्होंने स्वर्ण पदक जीता पूरी दुनिया उनकी चर्चा और तारीफ़ करने लगी। लोग उनके बारे में जानने को बेताब हो गए। एक दिन के भीतर ही इंटरनेट की दुनिया में उनका नाम ट्रेंड करने लगा। उनकी इंस्टाग्राम प्रोफाइल पर सब्सक्राइबर्स की जैसे बाढ़ आ गई।
कहने का तात्पर्य यह है कि सबसे पहले अपने लक्ष्य (Purpose of Life) को पहचाने फिर पूरी लगन मेहनत और जुनून के साथ जुट जाएं। धैर्य रखें और अपना काम करते जाएं। एक बार यदि तय कर लिया तो बस सर्वोत्तम करके ही दम लेना है। यदि वांछित परिणाम न भी आएं तो विचलित नहीं होना है, अधीर होकर अपने लक्ष्य या उद्देश्य को नहीं बदलना है बल्कि अपने काम करने के तरीक़े की समीक्षा करना है और उसमें आवश्यक बदलाव करना है।
जिस प्रकार यदि हम एक लेंस सूरज के सामने रखें और उसके पीछे एक कागज़ का टुकड़ा रखें, यदि लेंस को हम स्थिर रखते हैं तो कुछ ही देर में कागज़ जलने लगता है। लेकिन यदि बार-बार लेंस को इधर-उधर हिलाते रहेंगे तो कागज कभी नहीं जल पाएगा।
ठीक उसी तरह से हमें अपने लक्ष्य पर पूरी तरह से केंद्रित होकर काम करना है। परिणाम ना मिले ऐसा हो नहीं सकता। जिस दिन आप अपने जीवन का सर्वोत्तम प्रदर्शन करते हैं, यह दुनिया आपको पूजने लगती है।
जब आप एक बड़े लक्ष्य (Purpose of Life) के साथ आगे बढ़ते हैं तब आपका स्वार्थी होना बहुत महंगा सौदा हो सकता है। इसलिए अपना काम हमेशा इस दृष्टिकोण के साथ करें की ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के जीवन को बेहतर कैसे बना सकते हैं ?
हमेशा लोगों की समस्याओं का समाधान करने की कोशिश करें। जिस दिन आपका फ़ोकस अपने से निकलकर दूसरों की जिंदगी बेहतर बनाने पर हो जाएगा उस दिन आपको आत्मिक सुख मिलेगा और काम करना आपके लिए मुश्किल नहीं रह जाएगा।
लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ते हुए निरंतर आपको खुद से सवाल पूछते रहना होगा। आपके प्रश्नों की गुणवत्ता आपके काम और आपके जीवन दोनों की गुणवत्ता बेहतर बना देगी।
हमेशा अपने आप से यह सवाल पूछे

इसी तरह और भी गुणवत्तापूर्ण सवाल अपने आप से पूछते रहे। अपने काम करने के तरीके और मात्रा में उचित बदलाव करते रहें।
परिस्थितियां कभी भी आपको तोड़ नहीं सकती क्योंकि परिस्थितियों से लड़ने की आपकी क्षमता आपको विजयी बनाती है। इसलिए अपनी क्षमता, अपनी योग्यता को निरंतर बढ़ाते रहें| एक ही परिस्थिति एक इंसान को मज़बूत बनाती है तो दूसरे को तोड़ देती है। यह इस बात पर निर्भर करता है की आप परिस्थितियों को किस तरह से लेते हैं। उनके साथ किस तरह से निपटते हैं।
पैसा कभी भी आपका फोकस नहीं होना चाहिए, हमेशा ख़ुद को सुधारते रहें, विचारों के स्तर पर और कार्यक्षमता के स्तर पर।
कभी भी चीज़ों के पीछे नहीं भागना है क्योंकि आप जितना उनके पीछे भागेंगे वे उतनी ही आपसे दूर होती जाएंगी|
स्वार्थी मनुष्य और जानवर के जीवन में कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं होता। मनुष्य एक परिष्कृत(Glorified) जानवर है। यदि मनुष्य अपने जीवन की गुणवत्ता नहीं सुधारता तो वह जानवर से भिन्न नहीं हो सकता। जानवरों का जीवन मनुष्य की तुलना में आसान होता है क्योंकि जानवर दूसरों की फ़िक्र नहीं करते।
कुछ और प्रश्न स्वयं से पूछें

यह ऐसे कुछ मूलभूत प्रश्न है जो हमें जानवरों से अलग करते हैं। हितोपदेश में एक श्लोक है
आहार निद्रा भय मैथुनं च सामान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम् । धर्मो हि तेषामधिको विशेष: धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः ॥
The Secret of Life In Hindi No.02-Find the Purpose of Life
अर्थात आहार, निद्रा, भय और मैथुन, मनुष्यों और पशुओं के लिये, एक ही समान स्वाभाविक हैं। मनुष्यों और पशुओं में कुछ भेद है तो केवल धर्म का अर्थात इन स्वाभाविक वृतियों को मर्यादित करने का। जिस मनुष्य में यह धर्म नहीं है वह पशु के समान ही है।

यहाँ धर्म से तात्पर्य, जीवन जीने के तरीक़े से है। मनुष्य और पशु में मौलिक अंतर विचारों के स्तर पर होता है। पशुओं में विचार करने की क्षमता नहीं होती, यह वरदान केवल हम मनुष्यों को मिला हुआ है। यदि हम इसका इस्तेमाल बुद्धिमत्ता पूर्वक नहीं करते तो हम एक पशु से भिन्न कैसे हो सकते हैं?
दुनिया में जितने भी बड़े बदलाव हुए हैं, वे एक व्यक्ति की सोच की वज़ह से हुए हैं। ख़ुद से सवाल पूछते रहें, अपने विचारों और कर्मों की गुणवत्ता को बढ़ाते रहें। ग्राहक से दाता बने, मानवता (Humanity)को सर्वोच्च धर्म माने। अपने मन मस्तिष्क को एक नई दिशा में सोचने का अभ्यास करवाएं। अपने विचारों और कर्मों पर नज़र रखें उनके प्रति सजग रहें। जानवर से इंसान बनें।
अपनी ऊर्जा और दक्षता को उच्च स्तर पर लेकर जाना है। हमेशा स्वयं और दूसरों के जीवन को आसान बनाने की कोशिश करते रहना है, ताकि यह दुनिया सभी के रहने के लिए बेहतर जगह बन सके। यही मानव जीवन का परम उद्देश्य (The Ultimate Purpose of Life) है।
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