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SUCCESS FORMULAE(सफलता के सूत्र)

safalta ke sootra

सफलता के सूत्र (SUCCESS FORMULAE)

दुनिया में हर इंसान चाहता है कि वह क़ामयाब हो पर अक्सर ऐसा होता नहीं। आख़िर क्या कारण है कि कुछ लोग तो बहुत क़ामयाब होते हैं पर ज़्यादातर लोग औसत ज़िन्दगी ही बिताते हैं। हम अध्ययन करें तो पाते हैं कि, क़ामयाब लोगों के पास अपने कुछ सफलता के सूत्र (SUCCESS FORMULAE) होते हैं। तमाम सफल लोगों का अध्य्यन करने के बाद कुछ प्रमुख बिन्दु सामने आते हैं, जिनपर हम विस्तार से चर्चा करेंगे। सभी महान आर्थिक एवं सामाजिक विश्लेषकों के अनुसार, मुख्य रूप से 5 सफलता के सूत्र (SUCCESS FORMULAE) हैं:-

1. सपनें(DREAMS)

सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है एक मज़बूत सपना। सपना जो आपकी जिंदगी का ब्लूप्रिंट है। जिसके लिए आप कुछ भी करने को तैयार होते हैं। लेकिन आपका सपना यदि मात्र ख़याली पुलाव है तो कुछ ही दिनों में आप भूल जाएंगे और कुछ नए की तलाश में निकल पड़ेंगे। किन्तु यदि आपका सपना ऐसा है जो आपकी भावनाओं के साथ जुड़ा है और आपकी नीदों को उड़ा देता है तो फिर आप उसे साकार करने के उपाय ख़ोज ही लेंगे।

संसार में जितने भी सफल लोगों का अध्ययन आप करेंगे तो पाएंगे कि उन सभी के पास एक स्पष्ट भविष्यदृष्टि यानी एक मज़बूत सपना था।

जब महात्मा गांधी को अफ्रीका में ट्रेन के डिब्बे से निकाल दिया गया था तभी उन्होंने एक सपना देखा था, अंग्रेजों को भारत से निकाल फेंकने का। बाक़ी इतिहास गवाह है कि एक व्यक्ति का सपना कब सारे देश का सपना बन गया और लाख मुश्किलों के बाद भी आख़िरकार सच भी हुआ।

अमरीकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की कहानी हम सबने पढ़ी है किस तरह उनका बचपन अभावों में बीता किन्तु उन्होंने अमरीका के राष्ट्रपति बनने का सपना लिया था कितने ही चुनाव लड़े हारे किन्तु अपने सपने से भागे नहीं और एक दिन आया जब वो अमरीका के राष्ट्रपति बन ही गए।

कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आपके पास अपने जीवन को लेकर एक स्पष्ट भविष्यदृष्टि है और आप उसके प्रति ईमानदार कोशिशें करते हैं तो सारी क़ायनात आपके साथ हो जाती है, और आप एक कर्मवीर कहलाते हैं।

2. लक्ष्य(GOAL)

SUCCESS FORMULAE

पिछले भाग में हमने सपनों की बात की । सपने हमारे भविष्य का आइना होते हैं । जैसे- जैसे व्यक्ति की सपनों को पाने की इच्छा प्रबल होती जाती है उसके सपने लक्ष्यों में परिवर्तित होते जाते हैं । सच कहा जाय तो लक्ष्य हमारे वो सपने होते हैं जिनपर उन्हें पाने की  तारीख़ डाल दी जाती है । बिना तारीख़ के सपने उस नाव की तरह होते हैं जिसके नाविक को पता ही नहीं होता कि जाना किस बन्दरगाह पर है, उसके लिए हवा का रुख़ कभी भी अनुकूल या प्रतिकूल नहीं हो सकता । सपनों को पाने की हमारी तीव्र इच्छा और समयावधि ही हमारे लक्ष्य होते हैं ।

लक्ष्य निर्धारित करते समय हमें कुछ बातों का ज़रूर ध्यान रखना चाहिए जैसे :-

  • लक्ष्य विशिष्ट होने चाहिए ।
  • लक्ष्य वास्तविक होने चाहिये ।
  • लक्ष्य लिखे हुए होने चाहिए ।
  • हर लक्ष्य के साथ उसको पाने की निर्धारित तारीख़ होनी चाहिए ।
  • लक्ष्य हमेशा नज़र के सामने होने चाहिए ।
  • लक्ष्यों में लगातार सुधार करते रहना चाहिए, समय के साथ नये लक्ष्य बनाते रहना चाहिए ।
  • लक्ष्य बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि लक्ष्य हमेशा हासिल करने योग्य होने चाहिए ।
  • लक्ष्य हमेशा अल्पकालीन , मध्यकालीन और दीर्घकालीन होने चाहिये।
  • और सबसे महत्वपूर्ण बात, किसी लक्ष्य को प्राप्त करते ही ख़ुद को पुरस्कृत करना कभी न भूलें।

अब आपके पास एक सपना है और आपने उसको हासिल करने की तारिख़ निर्धारित कर ली यानि आपने अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित कर लिया बस अब ज़रूरत है एक ज़बर्दस्त कार्ययोजना की जिसके बारे में हम अगले भाग में बात करेंगे। इस भाग में बस इतना ही।

3. कार्ययोजना(PLAN)

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आपके पास एक सपना है, सपने को हासिल करने की समय सीमा आपने तय कर ली, मतलब आपने लक्ष्य निर्धारित कर लिया। अब ज़रूरत है एक ऐसी कार्ययोजना की जो आपको आपके लक्ष्य तक ले जाये। किसी भी चीज़ को हासिल करने के लिए एक कार्ययोजना का होना बहुत ही ज़रूरी कदम है। बिना योजना के, केवल सपने देखना, ख़याली पुलाव पकाने जैसा ही है।

किसी भी मंज़िल तक पहुँचने के लिए वहाँ तक पहुँचने का नक़्शा पास में होना चाहिए। यदि आपका सपना एक सुन्दर मकान बनाने का है लेकिन आपके पास न तो कोई नक़्शा है और न ही कोई योजना, तो क्या लगता है, आपका मकान बन पायेगा ?

कार्ययोजना बनाने का मतलब है, अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक पुख़्ता रूपरेखा तैयार करना, किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक समयबद्ध कार्ययोजना का होना सबसे अहम है।

“ जो लोग अपने लिए कार्ययोजना नहीं बनाते, दरअसल वो असफल होने की योजना बनाते हैं।”

जो लोग जीवन में असफल होते हैं दरअसल उनके पास कोई योजना ही नहीं होती। एक स्पष्ट कार्ययोजना के अभाव में आपके सपने अधूरे ही रहने वाले हैं। आपके सपनों को पूरा करने के लिए लक्ष्य बनाइये, कार्ययोजना तैयार कीजिये और विश्वास कीजिये, आप उन्हें हासिल कर लेंगे।

4. विश्वास/भरोसा(FAITH/BELIEF)

बाइबल के अनुसार:-

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“विश्वास का अर्थ है, जिसकी हम आशा करते हैं, उसके लिए सुनिश्चित होना।”

यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो आपको विश्वास करना होगा कि आप सफल हो सकते हैं।

अगर आपको विश्वास नहीं है, कि आप किसी काम को कर सकते हैं, तो आप उसके लिए पूरे मन से प्रयास नहीं करते। आधे मन से किए गए कार्य का परिणाम कभी भी सकारात्मक नहीं होता। इस लिए अपने आप पर विश्वास कीजिए और दूसरों पर भी विश्वास कीजिए।

“मैं कर सकता हूँ !” (I CAN DOयह एक ज़ादुई वाक्य है। यह हमारी स्वीकारोक्ति को मज़बूत करता है, कि हम यह कर सकते हैं।

ज़िन्दगी में क़ामयाब तो हर कोई होना चाहता है, बस फ़र्क है तो विश्वास पूर्वक किए गए प्रयास का।

आस्था से तो पहाड़ों को भी हिलाया जा सकता है एक मज़बूत विश्वास हमें प्रेरणा देता है, राह दिखाता है और उपाय भी सुझाता है। अपनी सफलता के प्रति हमारा विश्वास और समर्पण, दूसरों को भी हम पर विश्वास करने को मज़बूर करता है।

अपने आस-पास सफल लोगों का अध्यन करने पर आप पायेंगे कि विश्वास उनका एक अभिन्न गुण है।

अपने विश्वास को सफलता में परिवर्तित करने के लिए Action mode में आना होगा, यानि कार्य करना होगा।

5. कार्य(ACTION)

ACTION

यदि आपके पास अपने सपनों को साकार  करने की योजना है। तो आपको अपनी योजना पर ज़िम्मेदारी और सावधानी से अमल करने के लिये प्रतिबद्ध होने की ज़रूरत है। कर्म के बिना सभी सपने,लक्ष्य,विश्वास और योजनाएं व्यर्थ हैं।

“मैं अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिये,काम करने के लिए कितना गम्भीर हूँ।

यह सवाल अपने आप से करें और ज़वाब देखें। आपकी निरन्तरता और कार्य के प्रति ईमानदारी आपके लक्ष्यों में परिलक्षित होती है। सरदार मिल्खा सिंह की कहानी हम सबको पता है । कैसे उन्होंने सेना में काम करते हुए, अतिरिक्त भोजन के लिए स्पोर्ट्स विंग जॉइन की और अथक प्रयास करते हुए इतिहास रच दिया।

कर्म करना प्राथमिक ज़रूरत है, कर्म के बिना लक्ष्य हासिल करना महज़ दिवा स्वप्न हैं। लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहें, विश्वास रखें और कर्म करें आप इतिहास रचने वाले है।

Image courtesy: Google

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