There’s no Elevator to the Top! You have to take the Stairs. शिखर तक पहुँचने के लिए कोई लिफ्ट/एलीवेटर नहीं होता! आपको सीढ़ियों का ही सहारा लेना होगा।
शिखर तक पहुँचने के लिए कोई लिफ्ट/एलीवेटर नहीं होता! आपको सीढ़ियों का ही सहारा लेना होगा। There is no Elevator to the Top! You have to take the Stairs. कम से कम सफलता की दुनिया में तो नहीं। सफलता पूरी तरह से आपके नियंत्रण में होती है। आप ही इसके कप्तान हो, आप ही मालिक हो और आप ही सेनापति। इसका नियंत्रण किसी और को न दें।
इण्टरनेट की दुनिया में आजकल लोग सोशल मीडिया (इंस्टाग्राम, फेसबुक, यू ट्यूब और स्नैप इत्यादि) में, मनोरंजन में ही सारा समय लगे रहते हैं। यदि आप भी उनमें से हैं तो इससे बाहर निकलें। मनोरंजन और सूचनाएं इकट्ठी करने की बजाय कुछ ऐसा करें जो वास्तव में आपके जीवन को आगे बढ़ा सके। मनोरंजन से शिक्षा (Entertainment to Education) की ओर आएं।
सफल होना कोई जादू का खेल नहीं है। आप अमीर बनने का फैसला कर सकते हैं और यह करने जैसा है। लेकिन पहले आपको सफल होने के बारे में सोचना होगा। अक्सर हम सोचते हैं कि सफल और असफल लोगों के बीच कुछ ख़ास अंतर होता है। मैं उनके जितना बेहतर नहीं हूं। यदि आप सफल होना चाहते हैं, तो आपको इसे बदलना होगा। ये सोच बदलनी होगी। मेरी बात सुनिए! सफल होना इतना भी मुश्किल नहीं है। जो चीज़ इसे मुश्किल बनाती है वह है हमारी सोच और विश्वास की कमी, कि यह हमारे साथ भी हो सकता है।
हालाँकि, सफल हुआ जा सकता है। इसके लिए कुछ बदलाव करने होंगे। यह देखना है कि आपको क्या बदलना है। यदि आप चाहते हैं कि अब तक आपको जो मिलता रहा है, वही मिलता रहे तो, जो आप अब तक करते आए हैं वही करते रहें। जो आप करते रहे हैं उसे करते रहें, तो आपको वही मिलता रहेगा जो आपको मिलता रहा है।
इसलिए यदि आप अपने जीवन में किसी स्थान पर हैं और आप इससे खुश नहीं हैं, तो आपको कुछ बदलना होगा। लेकिन आपको एक ईमानदार और दृढ़ निर्णय लेना होगा जिसे आप बदलने जा रहे हैं, और यह किसी और पर निर्भर नहीं है। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपके माता-पिता क्या सोचते हैं। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपके सहकर्मी क्या सोचते हैं। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपके भाई-बहन क्या सोचते हैं। इससे भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपके बच्चे क्या सोचते हैं। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। क्योंकि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। यह फ़ैसला आपका और केवल आपका ही है।
मैं आपको कुछ बताता हूँ। आपको फ़ैसला करना है कि क्या मैं अमीर, ग़रीब, औसत दर्ज़े का या राजनीतिज्ञ बनने जा रहा हूँ, आपको फ़ैसला करना है। यह वास्तव में महत्वपूर्ण नहीं है कि सोशल मीडिया पर अधिकांश लोग क्या कह रहे हैं।
वास्तव में, सोशल मीडिया पर न तो सारे लोग, प्रासंगिक हैं और न ही सारी उपलब्ध सामग्री। वे शेकर्स और मूवर्स नहीं हैं, और वे निर्णय लेने वाले भी नहीं हैं। यह पूरी तरह से आपके विवेक और रुचि पर निर्भर है कि आप क्या देखते, पढ़ते और सुनते हैं। इसलिए जब आप इस आभासी दुनिया (इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब इत्यादि) में इतना समय बिताते हैं और केवल मनोरंजन में ही लगे रहते हैं, कुछ नया नहीं सीखते, तो आप अपना क़ीमती समय बर्बाद कर रहे हैं।
आज का युवा, युवाओं का सबसे प्रतिभाशाली समूह है, यह सहस्राब्दी बिल्कुल शानदार हैं, क्योंकि आप सभी के पास तकनीक़(Technology) है। हमारे समय में कोई तकनीक़ नहीं थी। कुछ नहीं। हम क़िताबें डाउनलोड नहीं कर सकते थे। आपको पुस्तकालय जाना था, कार्ड कैटलॉग में जाना था, उसे खोलना था, क़िताब ढूंढनी थी, क़िताब का नंबर ढूंढना था, क़िताब लेनी थी और पूरी क़िताब पढ़नी होती थी। फिर क़िताब लौटाते समय पैसे देने होते थे। शब्दकोष में एक शब्द ढूढ़ने के लिए पूरा शब्दकोष पलटना होता था। एक शब्द के लिए कई-कई पन्ने पलटने और पढ़ने होते थे।
आज आपके पास गूगल है। आप कुछ भी गूगल कर सकते हैं। आप सभी के पास अपनी उंगलियों पर वह सब कुछ है, जो आपको सफल बना सकता है। अगर आप अपनी तकनीक़ को अपने पूर्वजों (माता-पिता, दादा-दादी) के नैतिक आदर्शों और कार्यप्रणाली(Work Ethics) के साथ अपनाते हैं तो, आप अमीर हो सकते हैं। आप अमीर हो सकते हैं, लेकिन आप कार्यप्रणाली(Work Ethics) को अनदेखा नहीं कर सकते।
अपने चारों ओर देखें, सफल लोगों को देखें। कोई भी रातों-रात सफल नहीं हुआ है।
क्योंकि शिखर तक पहुँचने के लिए कोई लिफ्ट/एलीवेटर नहीं होता! आपको सीढ़ियों का ही सहारा लेना होगा। There is no Elevator to the Top! You have to take the Stairs. कम से कम सफलता की दुनिया में तो नहीं।
जब मैं देखता हूं कि युवा अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, इस सारी तकनीक़ का दुरुपयोग करते हुए, बहुत कोफ़्त होती है और ग़ुस्सा भी आता है। इतनी सुंदर और सरल तकनीक़ आपके पास है, जो सब कुछ आप को तत्काल उपलब्ध करा देती है, फिर भी लोग बेकार और नाकारा घूम रहे हैं।
आज का समय ऐसा है, जब कोई भी बहाना नहीं बना सकता कि मेरे पास अवसर नहीं हैं। आपके हाथ में जो मोबाइल फ़ोन है वह आपका ब्रह्मास्त्र है बशर्ते आप उसका प्रयोग सही दिशा में करें। आपने सुना होगा कि यदि ब्रह्मास्त्र का ग़लत प्रयोग किया गया, तो वह आपके लिए घातक हो सकता है और आज यही हो रहा है।
हाँ! एक बात और, आप पूरी तरह से तकनीक़ पर ही निर्भर नहीं रह सकते, क्योंकि यह आपकी मदद के लिए है, यह आपके लिए सफलता नहीं ला सकती। आपको इसका सही तरह से उपयोग कर इसकी मदद से अपनी राह बनानी होगी। अपनी सीढ़ी ख़ुद बनानी होगी।
जैसे-जैसे आप ज़िंदगी में आगे बढ़ेंगे, नए-नए अनुभव भी होंगे, लेकिन आप उस दौर से तो कभी नहीं गुज़रेंगे, जिससे हमारी पीढ़ी गुज़री है। जब आप सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ना शुरू करेंगे तो सब कुछ इतना भी आसान नहीं होगा। आपको कुछ चीज़ों को छोड़ना होगा, नई आदतें विकसित करनी होंगी, कई बार असहज भी होना पड़ेगा और धैर्य और आत्मविश्वास को बनाए रखना होगा। असहजता में सहज होना होगा।
‘यदि आप चैन की नींद चाहते हैं, तो आपको कुछ रातें जागकर भी बितानी होंगी।’
There is no Elevator to the Top! You have to take the Stairs.
आज ज़्यादातर लोग रातों-रात सफलता पाना चाहते हैं। हर कोई आसान तरीक़ा जानना चाहता है। कई बार तो इसी लालच में लोग ग़लत लोगों या ग़लत चीज़ों के चुंगल में फँस जाते हैं और अपना समय, पैसा और ऊर्जा सब गवां बैठते हैं। कुछ छोटा करने की कोशिश करना बंद करो। आसान तरीक़ा जानने की कोशिश करना बंद करो। क्योंकि रातों-रात सफल होने में भी वर्षों का समय और कठिन परिश्रम लगता है।
जब आप सफलता की राह में आगे बढ़ना शुरू करेंगे तो सब कुछ एकदम आसान नहीं होगा। आपकी ज़िंदगी में काफ़ी उथल-पुथल होगी। कई बार आप गिरेंगे, आपके कपड़े भी ख़राब होंगे। आपकी भावनाएँ भी आहत होंगी। आप निराश भी होंगे, लोग आप पर हँसेंगे भी। ज़रूरत पड़ने पर यदि आप किसी से पैसे मांगेंगे तो लोग आप को ‘ना’ भी बोलेंगे।
लेकिन इस सब के बाद भी आपको मज़बूती से लगे रहना होगा।कभी-कभी मैं जब किसी युवा को आगे बढ़ने की कोशिश करते देखता हूँ, सच पूछिए तो मुझे बहुत ख़ुशी का अहसास होता है। यदि मुझसे कुछ मदद की उम्मीद रखते हैं, तो मैं अवश्य करता हूँ। मेरी कोशिश होती है कि उन्हें मछली देने की बजाय, उन्हें मछली पकड़ने का तरीक़ा दे सकूँ। एक बार जब आप किसी को मछली पकड़ने का तरीक़ा सिखा देते हैं, तब उसकी ज़िंदगी में सब कुछ बदलने लगता है। उसका आत्मविश्वास बढ़ जाता है। वह नकारात्मकता से बच जाता हैं और उसकी उत्पादकता द्विगुणित हो जाती है।
रोज़मर्रा की भाग-दौड़ में कई बार नकारात्मक विचार आप को परेशान करेंगे, आपको लगेगा कि यह मुझसे नहीं होने वाला। आप शारीरिक और मानसिक रूप से थक जाएंगे। ज़्यादातर लोग नकारात्मक विचारों की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते, बीच में ही रुक जाते हैं। नकारात्मकता से बचने के लिए आपको अपने दिमाग के चारों ओर एक कवच (Coating) बनाना होगा। यह आसान और वास्तविक अभ्यास है। हर रोज़ इसे सुबह घर से निकलने से पहले करें, आप एक सकारात्मक व्यक्ति की तरह बाहर जाएंगे और आपका पूरा दिन एक नई ऊर्जा से भरा होगा।
- There is no Elevator to the Top! You have to take the Stairs.
एक सरल चीज़ है ‘कृतज्ञता’(Gratitude)। ‘कृतज्ञता’ का भाव आपकी सारी नकारात्मकता को मिटा देता है। आइए समझते हैं कि यह आप कैसे कर सकते हैं।
यदि आप सुबह नकारात्मक विचारों के साथ उठते हैं, आपको लगता है कि आज मेरा दिन ख़राब जाएगा, तो आपका पूरा दिन ही ख़राब जाने वाला है। भय, निराशा और हीन भावना के साथ दिन की शुरुआत कभी न करें। कभी-कभी दिन में भी जब कुछ ग़लत हो जाता है तो ऐसे भाव आ सकते हैं, जो काफ़ी ख़तरनाक़ होते हैं। दिन की शुरुआत आप हर उस चीज़ के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने से करें जो आज आपके पास है।
क्योंकि आप के पास जो कुछ भी है, वह पर्याप्त है। बल्कि पर्याप्त से भी ज़्यादा है, कभी आप ने ध्यान ही नहीं दिया कि आपके पास क्या है! एक बार हर उस चीज़ की सूची बनाएं जो आपके पास है, तब पता चलेगा कि आपके पास ईश्वर का अनंत आशीर्वाद है।
क्या हमें इस बात के लिए ईश्वर का आभारी नहीं होना चाहिए कि, हमने आज की सुबह देखी… पता नहीं कितने लोग रात सोए तो थे लेकिन सुबह उठ नहीं सके। यह एक आशीर्वाद ही है। आप सोच सकते हैं, चल सकते हैं, देख सकते हैं, बोल सकते हैं…… क्या यह कम है? आपको हर रोज़ खाना मिलता है, पानी मिलता है, आपके पास अपना घर है, गाड़ी है, एक परिवार है, अच्छे दोस्त हैं। आप सपने देख सकते हैं, आप अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करते हैं, नए-नए अवसरों को देख सकते हैं ……. यह सूची इतनी लम्बी होती जाएगी कि आपको लगेगा कि, सच में इतना कुछ मेरे पास है, मैं व्यर्थ ही शिकायत कर रहा था।
जब भी आप ख़ुद को कमज़ोर, हताश, निराश या हारा हुआ महसूस करें, बस एक पल के लिए रुकें और अपनी सूची पर ग़ौर करें और ईश्वर का शुक्रिया कहें। आप पाएंगे आप के भीतर एक नई ऊर्जा का संचार हो गया है। एक कार्ड पर तीन वाक्य लिखकर अपने पास रखें और समय-समय पर उनको दोहराते रहें
- मैं पर्याप्त से ज़्यादा हूँ। (I Am More Than Enough)
- मेरे पास पर्याप्त से ज़्यादा है। (I Have More Than Enough)
- संसार में पर्याप्त से ज़्यादा है। (There Is More Than Enough)
हमेशा आभारी होना आपके जीवन में 360 डिग्री का परिवर्तन ला सकता है। हमेशा कृतज्ञता का भाव रखें, अपने मन और विचारों को नियंत्रित करें और पूरी शिद्दत से अपना काम करें, आप देखेंगे चमत्कार होने शुरू हो जाएंगे। क्योंकि-
शिखर तक पहुँचने के लिए कोई लिफ्ट/एलीवेटर नहीं होता! आपको सीढ़ियों का ही सहारा लेना होगा। There is no Elevator to the Top! You have to take the Stairs.
Also Read: 11 POWERFUL WAYS TO CONTROL YOUR MIND-IN HINDI