07 Important Life Lessons from Lord Shiva That Everyone Should Learn
शिव का मतलब है कल्याणकारी। देवाधि देव, महादेव प्रेरणा के प्रतीक हैं। भगवान शिव को बुद्धि का देवता भी कहा जाता है। कहा जाता है कि जब भी देवताओं पर कोई विपत्ति आती है वे महादेव की शरण में जाते हैं। हम में से अधिकांश लोग अपने जीवन में अक्सर भ्रमित रहते हैं, दुविधा में रहते हैं, ऐसा कहा जाता है कि यदि आप भगवान शिव की सच्चे मन और शुद्ध अंतःकरण से आराधना करते हैं, तो वह आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
आदि योगी, महादेव जहाँ एक ओर विनाशक हैं वहीं दूसरी ओर रक्षक या परिवर्तक भी। उनका क्रोध जितना घातक है, वे आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं। रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे तीनों लोक विजय का वरदान देते हैं। भस्मासुर को वरदान देते हैं कि वह जिसके ऊपर हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा, यह अलग बात है कि फिर वे ख़ुद उससे बचने के लिए भागे फिरते हैं और अंत में जाकर हिमालय की गुफा में शरण लेते हैं
शिव के व्यक्तित्व में जीवन के कई रंग छिपे हैं। आइए आज भगवान शिव के जीवन से सीखते हैं, जीवन जीने के कुछ रहस्य।
भगवान शिव को ब्रह्मांड में बुराई के विनाशक के रूप में जाना जाता है। वह उन सभी को दंडित करने के लिए जाने जाते हैं जिन्होंने अपने जीवन में बुरा रास्ता चुना क्योंकि वह कभी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करते हैं। सर्वशक्तिमान की तरह हम सभी को अपने जीवन में कभी भी बुराई को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। हमारे आस-पास ज़रा सी भी बुराई हो रही हो तो हमें उसे रोकने के लिए कदम उठाना चाहिए। अन्याय के ख़िलाफ ज़ीरो टॉलरेंस रखना शिव के नैतिक मूल्यों में से एक है।
बिखरे हुए विचार और अनियंत्रित मन ही हमारे जीवन में सबसे अधिक अराजकता का कारण है। यह एक विनाशकारी जीवन का कारण बन सकता है। अपने दिमाग को अपने लक्ष्यों के साथ जोड़ने की ज़रूरत है, शिव इसके लिए एक आदर्श मूर्ति हैं। शिव जहाँ एक ओर अर्द्धनारीश्वर हैं वहीं दूसरी ओर कामजित भी। इंद्रियों पर विजय पाकर हमें अपने जीवन लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है अन्यथा अपनी इच्छाओं और व्यसनों के शिकार होंगे। सुखी जीवन जीने के लिए, आत्मसंयम अतिआवश्यक है।
कहा जाता है कि शिव एक मात्र ऐसे देव हैं जिनके पास तीसरा नेत्र है, जिसका इस्तेमाल वे केवल संहार के लिए करते हैं। जब तक आंखें खोलने का कोई बड़ा कारण न हो तब तक शिव स्वयं हमेशा ध्यान करते हैं। उन्हें ‘महायोगी‘ कहा जाता है और वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वे ब्रह्मांड की भलाई के बारे में स्पष्ट रूप से सोच सकें। अपने मन को शांत स्थिति में रखने से हम जीवन की अधिकांश कठिन परिस्थितियों से पार पा सकते हैं।
अपने दिमाग को शांत करने से दुनिया की किसी भी समस्या को हल करने के लिए विचारों की पर्याप्त स्पष्टता मिलती है और यही सबसे अच्छी रणनीति है किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिए।
भगवान शिव का जीवन बेहद सादगी भरा है। उनका पहनावा, उनके अस्त्र-शस्त्र, उनका भोजन, उनकी जीवन शैली… सब कुछ न्यूनतम है। जबकि वे सर्वशक्तिमान हैं, उनके लिए विलासिता की कोई भी चीज़, जिसकी हम कल्पना कर सकते हैं, दुर्लभ नहीं है। हर चीज़ बस उनसे एक विचार की दूरी पर है। वह हमेशा धन, भोग-विलास से दूर रहते हैं। वे जानते हैं कि जीवन का वास्तविक सुख भौतिक भोग-विलास में नहीं वरन जीवन की घटनाओं और अनुभवों में है।
07 Important Life Lessons from Lord Shiva That Everyone Should Learn
भगवान शिव के जीवन से हमें सीख मिलती है कि हमें स्व से ऊपर उठकर लोक के बारे में सोचना चाहिए। दुनिया में आज हम जितने भी लोगों को सम्मान से याद करते हैं, उन सभी ने लोक कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है।
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय जब देव और असुर, चीज़ों के बँटवारे के लिए लड़ रहे थे, उनमें से कोई भी ज़हर (हलाहल) को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था, क्योंकि कोई भी इसका उपभोग कर जीवित नहीं रह सकता था। लेकिन शिव ने लोक कल्याण के लिए इसे निगलकर अपने गले में दबा लिया और “नीलकंठ” कहलाए।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यह हमारी सांस्कृतिक मान्यता है। भगवान शिव के जीवन में स्त्री सम्मान सर्वोपरि है। शिव के सबसे प्रिय और पूज्य अवतारों में से एक है ‘अर्धनारीश्वर‘। इस अवतार में शरीर का आधा हिस्सा शिव का है और दूसरा आधा पार्वती का। उन्होंने हमेशा पार्वती को अपने समान और अत्यंत सम्मान के साथ माना। वह हमेशा उन्हें अपनी “शक्ति” का स्रोत मानते हैं और पूरा महत्व देते हैं। ‘अर्धनारीश्वर’ अवतार इस बात का प्रतीक है कि स्त्री और पुरुष दो नहीं बल्कि एक ही हैं, इसलिए दोनों का बराबर सम्मान करना चाहिए।
अहंकार हमारे जीवन की एक ऐसी बाधा है जो, हमें कुछ बड़ा करने या हासिल करने के मार्ग में आती है। हमारा अहंकार एक ऐसी चीज़ है जो हमारे सपनों और जीवन लक्ष्यों के बीच आती है। पद, पैसा या ताक़त का अहंकार इतना विषाक्त होता है कि लोग ऐसे व्यक्ति को पसंद नहीं करते।
शिव सर्वशक्तिमान हैं, समर्थ हैं फिर भी यदि देखा जाय तो बहुत ही सहज और सौम्य हैं। उन्होंने कभी अहंकार को अपने सिर पर आने नहीं दिया और न ही उन्होंने किसी और के अहंकार को बर्दाश्त किया और यही हमें भी करना चाहिए।
भगवान शिव के जीवन की ये 7 सीखें एक तरह से उनके आशिर्वचन हैं। यदि हम इन पर महारत हासिल कर लेते हैं और अपने जीवन में उतारते हैं तो हमारा भी जीवन सहज और व्यवस्थित हो जाएगा। हम सफलता की बुलंदियों को छू पायेंगे और एक बेहतर इंसान भी बन पायेंगे।
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